Welcome to Diwali Special Edition as on this page below I am going to share “Lakshmi Pujan Vidhi in Hindi with Mantra” and list of goods required for puja, diwali puja muhurat and how to worship goddess Lakshmi on Diwali. So without taking any more time let’s move to 2016 Diwali Lakshmi Puja Vidhi in Hindi.
दीवाली का त्योहार पे मुख्यत: माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है इस दिन सभी लोग अपने घर, दफ़्तर पर माता लक्ष्मी की पूजा के रूप मे उनका स्वागत करते हैं| दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं| और नीचे हम आपको बताएँगे की कैसे आप माता लक्ष्मी की पूजा करे और आपको किन किन सामग्रियो की आवश्यकता है |
पूजा करने का सही समय
माँ लक्ष्मी की पूजा शुभ मुहूरत मे ही करनी चाहिए ताकि आपको आपकी पूजा का अधिक से अधिक लाभ मिल सके इस वर्ष 2016 मे पूजा करने का सूभ मुहूरत है 17:20 से 19:56 | दीवाली के दिन पूजा के अनय मुहूरत के लिए यहाँ क्लिक करे “2016 Diwali Shubh Muhurat for Goddess Lakshmi Puja”.
लक्ष्मी पूजा के लिए सामग्री ( Lakshmi Pooja Ke Liye Samagri)
पूजा शुरू करने से पूर्व आपको कुछ ज़रूरी सामग्री की आवश्यकता होगी उसकी सूची इस प्रकार है
- लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा (बैठी हुई मुद्रा में)
चोकी, लाल कपड़ा - केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग
- सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
- रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश.
दीवाली लक्ष्मी पूजा की त्यारी (Diwali Lakshmi Pooja ki Tyari)
सर्वप्रथम गंगा जल से घर मे छिड़काव करे अब चोकी की स्थापना करे और उस पर लाल कपड़ा बिछाये, अब इसपर माता लक्ष्मी, माँ सरस्वती एवं गणेश जी की प्रतिमा या चित्र (Calendar) को विराजमान करे, ध्यान रहे की चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की और हो | लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें तथा पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे | लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ एवम् गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. अब कलश मे पानी भरें(75%), अब इसमे एक सुपारी, एक गेंदे का फूल, एक सिक्का एवं कुछ चावल रखे, अब कलश के अंदर पाँच आम की पत्ती डाले और गोलाकार रूप मे लगा दें. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें और इस्पे एक नारियल भी रखे और वो नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि (Diwali Lakshmi Pujan Vidhi)
हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर निम्न मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें। बाद में इसी तरह से स्वयं को तथा अपने पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।
“ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।“
इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र बोलें तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए अपने आसन पर विराजमान हों
“पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः”
इसके बाद “ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः” कहते हुए गंगाजल का आचमन करें
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो.
इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। तत्पश्चात कलश पूजन करें फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। इन सभी के पूजन के बाद 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें। अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं। इसके बाद मां महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।
II नवग्रह स्तोत्र II
अथ नवग्रह स्तोत्र II
श्री गणेशाय नमः II
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् I
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् II १ II
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् I
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् II २ II
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् I
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् II ३ II
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् I
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् II ४ II
देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् I
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् II ५ II
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् I
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् II ६ II
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् I
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् II ७ II
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् I
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् II ८ II
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् I
रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् II ९ II
इति श्रीव्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः I
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति II १० II
नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम् I
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम् II ११ II
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुभ्दवाः I
ता सर्वाःप्रशमं यान्ति व्यासोब्रुते न संशयः II १२ II
II इति श्रीव्यास विरचितम् आदित्यादी नवग्रह स्तोत्रं संपूर्णं II
सबसे पहले भगवान गणेशजी, लक्ष्मीजी का पूजन करें। उनकी प्रतिमा के आगे 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं तथा मां को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें। मां को भोग लगा कर उनकी आरती करें। श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करें। इस तरह से आपकी पूजा पूर्ण होती है|
क्षमा-प्रार्थना करें
पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-
मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हो |
माँ लक्ष्मी की आरती हिन्दी मे पढ़ने के लिए क्लिक करे
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